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फिर से आगे बढ़ जाऊँगा 

बहुत दूर है अभी वो मंजिल, नही दिखाई देता साहिल, हवा के तीखे तीखे जोके, बीच राह में रोक रहे है, आगे जाने को निकला हूँ, यू ना पीछे फिर आऊँगा, खड़ा अभी हूँ मैं पड़ाव में, फिर से आगे बढ़ जाऊँगा। नींद में देखे थे जो सपने, आंखों में मेरी बसते थे, अपना समझ…

नया साल

झांक रहा है नया साल, उन जर्जर से झरोखों से, कुछ पुराने लम्हो से, उन सबक सिख को साथ लिए, एक नई सोच को मन मे रख, एक नई उमंग उल्लास लिए, साल पुराना पुछ रहा है, क्या भूल मुझे तुम पाओगे? जो तुम आगे बढ़े यही से, मुझसे होकर तुम गुज़रे थे, ये नई…


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